
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इस पर प्रियंका गांधी ने पलटवार किया कि जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिकी मध्यस्थता पर स्थिति स्पष्ट नहीं की।

लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को संसद में स्पष्ट किया कि आपरेशन सिंदूर के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी और पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने का अमेरिका के साथ व्यापार से कोई संबंध नहीं था। इसके जवाब में प्रियंका गांधी ने पलटवार किया है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जयशंकर ने अमेरिका की कथित मध्यस्थता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के लोकसभा में दिए गए बयान पर सवाल उठाए। प्रियंका ने संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “विदेश मंत्री ने कई चीजें साफ नहीं कीं। उन्होंने बस इतना कहा कि कुछ दिनों तक प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बातचीत नहीं हुई, लेकिन यह नहीं बताया कि अमेरिका की मध्यस्थता की भूमिका थी या नहीं।”
विदेश मंत्री ने क्या कहा था
इससे पहले लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान जयशंकर ने विपक्ष के उस आरोप को सिरे से खारिज किया कि पहलगाम हमले के बाद भारत को विदेशों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 में से सिर्फ चार देशों—पाकिस्तान और उसके तीन सहयोगियों—ने भारत के अभियान का विरोध किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को चीन का समर्थन कोई नई बात नहीं है, यह गठबंधन कांग्रेस के शासनकाल से चल रहा है।
जयशंकर ने कहा, “22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन वार्ता नहीं हुई। इस दौरान व्यापार या मध्यस्थता से जुड़ा कोई मुद्दा अमेरिका के साथ नहीं उठा।”
कुछ देशों ने कहा था-पाक युद्धविराम चाहता है
विदेश मंत्री ने कहा कि आपरेशन सिंदूर के दौरान कुछ देशों ने कहा था कि पाकिस्तान युद्ध विराम चाहता है तो भारत की ओर से कहा गया कि यह आग्रह पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) की ओर से आना चाहिए। पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ की फोन कॉल आने के बाद ही सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार किया गया और इस पर सहमति बनी।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की कूटनीतिक जीत
जयशंकर ने कहा कि मुम्बई आतंकवादी हमले में संलिप्त कुख्यात आतंकवादी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में सफलता मिली है,यह भी देश की कूटनीति की सफलता का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि क्वाड और ब्रिक्स देशों ने भी भारत पर हुये आतंकवादी हमले की निंदा की है। फ्रांस, जर्मनी तथा यूरोपीय देशों ने कहा है कि भारत को आतंकवाद से अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।