अक्टूबर 2023 में भी एक मिसाइल पंजाब से दागी गई थी, जो डेरा बुगती के पास एक न्यूक्लियर फैसिलीटी के बेहद करीब गिरी थी। वो एक आबादी वाले इलाके से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर गिरी थी, जिससे तबाही मच सकती थी। शाहीन-3 मिसाइल की शक्ति अब गंभीर सवालों के घेरे में है।

pakistan Shaheen-3 Missile fail
पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल फिर परीक्षण में नाकाम, बलूचिस्तान में गिरी।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान जिस शाहीन मिसाइलों की अकड़ दिखाता है उसके एक बार फिर से नाकाम होने की रिपोर्ट है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सेना की शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट 22 जुलाई को बलूचिस्तान में बुरी तरह नाकाम होकर गिर गई है। ये मिसाइल अपने लक्ष्य से बेकाबू होकर भटक गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक ये मिसाइल पाकिस्तानी पंजाब के डेरा गाजी खान से दागी गई थी। लेकिन लॉन्च होने के बाद ये अपने लक्ष्य से भटक गई और बलूचिस्तान के ग्रापन दर्रे में लूप सेहरानी लेवीज स्टेशन से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर गिर गई। स्थानीय बलूच नागरिकों ने वीडियो जारी करते हुए शाहीन-3 मिसाइल के फेल होने का दावा किया है। बलूचों ने कहा है कि अगर कुछ और मीटर नागरिक इलाके में ये मिसाइल गिरती तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था और कई नागरिकों की जान जा सकती थी।

बलूच नेता मीर यार बलूच ने एक बयान जारी करते हुए पाकिस्तान सेना की कड़ी निंदाकी है। उन्होंने इस परीक्षण को बलूचिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता और नागरिक सुरक्षा का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने कहा है कि बलूच रिपब्लिक ने इसे “सैन्य दखल के नाम पर सुनियोजित विस्थापन और खनिज संसाधनों की लूट” की साजिश करार दिया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि “बलूचिस्तान रिपब्लिक, पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षणों की बार-बार होने वाली नाकामी की कड़ी निंदा करता है, जो बलूचिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करते हैं और नागरिकों के जीवन को खतरे में डालते हैं।

पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल के नाकाम होने का दावा
स्थानीय बलूच नागरिकों के मुताबिक “पाकिस्तान की सेना ने मंगलवार 22 जुलाई 2025 को बलूचिस्तान रिपब्लिक में एक मिसाइल टेस्ट का नाकाम प्रयोग किया है।” आपको बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की मिसाइल टेस्टिंग से बलूचिस्तान के नागरिकों की जान पर बन आई हो। अक्टूबर 2023 में भी एक मिसाइल पंजाब से दागी गई थी, जो डेरा बुगती के पास एक न्यूक्लियर फैसिलीटी के बेहद करीब गिरी थी। वो एक आबादी वाले इलाके से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर गिरी थी, जिससे तबाही मच सकती थी। इससे पहले मई 1998 में पाकिस्तान ने बलूचों की इजाजत के बिना चगाई जिले में अपने सभी 6 परमाणु परीक्षण किए थे। इसका असर आज भी इलाके में देखा जा रहा है और उस इलाके के लोग आज भी कैंसर, त्वचा रोग से पीड़ित होते रहते हैं। इसके अलावा पूरे क्षेत्र का जल प्रदूषित हो चुका है।

अभिजात शेखर आजाद

लेखक के बारे मेंअभिजात शेखर आजादअभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।और पढ़ें